शेअर बाजार माहिती

रविवार, 11 जुलाई 2021

Harshad Mehta scam कैसे चुना लगाया 5000 करोड़ का बैंको को?


 भारत के इतिहास में शेयर मार्केट में अपना नाम छपवाकर इतिहास रचने वाला स्कैमर हर्षद मेहता।

जब कभी भी शेयर मार्केट का नाम लिया जाता है तो हर्षद मेहता स्कैम दिमाग पहले आता है। ये वही हर्षद मेहता है जो सिर्फ 40 रुपए लेकर मुंबई आया था और बैंको को 5000 का चूना लगा कर चल बसा, तो चलिए जानते है हर्षद मेहता की जीवनगाथा।

हर्षद मेहता का जन्म गुजरात के राजकोट में एक middle class family में हुआ था। बचपन का कुछ वक्त उसने कांदिवली में भी गुजारा लेकिन पिताजी का तबादला होने के बाद हर्षद को रायपुर छत्तीसगढ़ जाना पढ़ा। आगे कुछ सालो बाद आगे की पढ़ाई के लिए हर्षद मेहता मुंबई में b.com करने आ गया। 1970 में 40 रुपए जेब में लेकर जब वो आया तो उसने पढ़ाई पूरी करके 8 साल तक इधर उधर छोटे बड़े जॉब किए। इसी टाइम मेहता शेयर मार्केट की तरफ आकर्षित हुआ और गुजराती फैमिली से होने की वजह से जल्द ही उसकी जान पहचान बढ़ गई।

धीरे धीरे हर्षद मेहता ने स्टॉक ब्रोकर का काम शुरू किया और करते करते एक दिन अपने भाई को साथ लेकर 1984 में ग्रोथ मोर रिसर्च नाम कि कंपनी खोल ली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में खरीदी बिक्री करता रहा। और हर्षद मेहता स्टॉक ब्रोकर करके नाम कमाया। दिमाग से होशियार हर्षद मेहता कोई भी चीज जल्दी सीख लेता था और कोनसी भी रिस्क लेने को तैयार रहता था। नाम होने के बाद हर्षद मेहता बैंकिंग सिस्टम सीखने और समझने लगा। 

बैंक सिस्टम में एक है सरकारी बॉन्ड का। जब भी सरकार को जरूरत होती है पैसों की तो सरकार बैंकों से लेती थी। सभी बैंकों को बॉन्ड रखना अनिवार्य था। सरकार बॉन्ड्स रखने वालो को ब्याज भी देती थी। जब किसी बैंक को पैसो की जरूरत होती थी तो एक बैंक दूसरी बैंक को बॉन्ड्स बेचती थी और कुछ कम टाइम के लिए ब्याज से पैसे लेती थी। पैसे आने के पहली बैंक अपने बॉन्ड्स फिरसे वापिस खरीद लेती थी। इसे रेडी फॉरवार्ड डिल कहते है। कम टाइम का पैसे का जुगाड होता था।

हर्षद मेहता ने यही बात हेर ली। बैंको को बॉन्ड्स बेचने के लिए ब्रोकर की जरूरत होती थी। हर्षद मेहता भी ब्रोकर था। और बॉन्ड्स जिस बैंक को बेचने है उसके पास जाता था और कहता था मै आपको बॉन्ड बेचकर देता हूं और बैंक के पास से बॉन्ड लेता था और कुछ वक्त मागता था। ऐसा ही जिस बैंक को जरूरत रहती थी उसके पास जाता था और कुछ वक्त मांग कर मै आपको बॉन्ड देता हूं कुछ वक्त दो और कमीशन लेके चला जाता था। वैसे तो rbi के नियमों के अनुसार कोई भी बैंक ब्रोकर (दलाल) के नाम से चेक नहीं दे सकते लेकिन हर्षद मेहता का नाम और उसकी पहचान के वजह से बैंक अधिकारी उस पर भरोसा करते थे। लेकिन हर्षद मेहता ने इसी बात का फायदा उठाया। 

मेहता दोनों बैंको को टाइम मांगता था तो जो बिचका टाइम है उस टाइम मे मेहता सारा पैसा शेयर मार्केट में लगा देता था और मार्केट ऊपर जाता था। जब पहली बैंक उसे पैसे मांगती तो मेहता तीसरी बैंक से बॉन्ड लेकर देता था और दूसरी मांगती तो चौथी बैंक से लेता था। इसकी टोपी उसके सर ऐसा करते करते उसने बहुत पैसा कमाया। अब उसे और पैसों का लालच आया। उसने और एक तरकीब निकाली। उस टाइम जब भी कोई बैंक बॉन्ड बेचती तो एक रिसीप्ट बनाती, रिसीप्ट मिली मतलब पैसे आ गए या समझो बॉन्ड मिल गए। हर्षद मेहता ने डुप्लीकेट रिसीप्ट बनाकर बैंकों से करोड़ों रुपए लेता था और मार्केट में लगा देता था। बैंको को भी रिसीप्ट मिलती थी तो वो भी कुछ नहीं बोलते थे। शेयर मार्केट तेजी में ही रहता था। 200 रुपए भाव का एसीसी सीमेंट का शेयर 9000 के पार कर दिया था इन्हीं पैसों के दम पर मेहता ने। हर्षद मेहता ने खुप पैसे कमाए इतने की सबसे महंगी गाड़िया समुंदर किनारे आलीशान बंगला। बहुत बड़ा। 

ऐसा ही चलता रहा लेकिन 1992 में हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट में बहुत सारा पैसा लगा दिया और मार्केट एकदम से नीचे आ गया। और हर्षद मेहता को बहुत सारा नुकसान हुआ इतना की बैंको के पैसे लौटाना मुश्किल हो गया। फिर एंट्री होती है पत्रकार सुचेता दलाल की, सुचेता दलाल को इस बात की भनक लग गई 23 अप्रैल 1992 को फिर हुआ खेल शुरू। बैंको को तब समझ आया कि मेहता झुटे रसीद देकर पैसे लेता था। फिर सीबीआई ने हर्षद की जांच की करीब 600 सिविल और 70 क्रिमिनल केस मे हर्षद को जेल हुईं। साल 2001 में मेहता के छाती में पेन था तो उसे हॉस्पिटल लाया गया और वहीं उसकी मौत हो गई।

लेकिन सरकार जाग गई और उसने शेयर मार्केट में निगरानी हेतु sebi की स्थापना की। सुचेता दलाल को पद्मश्री भी दिया गया। इस घोटाले में कई बड़े बड़े लोगो के नाम लिए गए। क्योंकि बड़ी पहुंच के सिवाय इतना बड़ा स्कैम नहीं हो सकता। 
तो आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं #हर्षद मेहता स्कैम

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